विख्यात पत्रकार जिलानी के

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य सम्पूर्ण समाज को संगठित कर अपने हिन्दू जीवन दर्शन के प्रकाश में समाज की सर्वांगीण उन्नति करना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य किसी भी मजहब विशेष के विरुद्ध नहीं है। परन्तु किसी भी प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधि का संघ हमेशा विरोध करता आया है। समाज के वामपंथी एवं तथाकथित सेकुलर लेखक जो संघ के विरुद्ध लगातार झूठा और गलत प्रचार करते आये हैं। संघ को मुस्लिम एवं ईसाई विरोधी बताने का प्रयास करते रहते है। मजहब के आधार पर मुस्लिम तथा ईसाईयों के साथ भेदभाव करने की संघ की नीति रही है ऐसा गलत प्रचार ये लोग करते हैं और इसके समर्थन में श्री गुरुजी द्वारा लिखित वी एंड अवर नेशनहुड डिफाइनड नामक पुस्तक का संदर्भ देते है। वास्तव में यह पुस्तक संघ का अधिकृत साहित्य नहीं है। जिस समय यह पुस्तक प्रकाशित हुई उस समय श्री गुरूजी संघ के सरसंघचालक तो नहीं थे। वे संघ के पदाधिकारी भी नहीं थे। भारत में रहने वाले मुस्लिम तथा ईसाई बंधुओं के बारे में संघ की सोच क्या है। यह श्री गुरूजी ने विख्यात पत्रकार श्री सैफुद्दीन जिलानी के साथ मुलाकात में साक्षात्कार में स्पष्ट की है। यही संघ की अधिकृत भूमिका है। इस मुलाकात के तथ्य नीचे प्रस्तुत हैं। संघ की अधिकृत भूमिका क्या है, यह सब जान सकेंगे और संघ के विरुद्ध निराधार दुष्प्रचार करने वालों के झूठ का पर्दाफाश होगा। हालांकि यह साक्षात्कार काफी अर्से पहले का है लेकिन वर्तमान समय में भी विषय की प्रसांगिकता के कारण संघ के दृष्टिकोण के तहत महत्वपूर्ण है।

जानेमाने पत्रकार डॉ सैफुद्दीन जिलानी के साथ 30 जनवरी 1971 को श्री गुरूजी से कोलकाता में हुआ वार्तालाप

डॉ जिलानी: देश के समक्ष आज जो संकट मुँह बायें खड़े हैं, उन्हें देखते हुए हिन्दू-मुस्लिम समस्या का कोई निश्चित हल ढूँढना, क्या आपको प्रतीत नहीं होता ?

श्री गुरुजी: देश का विचार करते समय मैं हिंदू और मुसलमान- इस रूप में विचार नहीं करता, परंतु इस प्रश्न की ओर लोग इस दृष्टि से देखते हैं। आजकल सभी लोग राजनीतिक दृष्टिकोण से ही विचार करते दिखाई देते हैं। हर कोई राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाकर व्यक्तिगत अथवा जातिगत स्वार्थ सिद्ध करने में लिप्त है। इस परिस्थिति पर मात करने का केवल एक ही उपाय है और वह है राजनीति की ओर देशहित और केवल देशहित की ही दृष्टि से देखना। उस स्थिति में वर्तमान सभी समस्यायें देखते ही देखते हल हो जायेंगी।

हाल ही में मैं दिल्ली गया था। उस समय अनेक लोग मुझसे मिलने आये थे। उनमें भारतीय क्राँति दल, संगठन कांग्रेस आदि दलों के लोग भी थे। संघ को हमने प्रत्यक्ष राजनीति से अलग रखा है, परंतु मेरे कुछ पुराने मित्र जनसंघ में होने के कारण कुछ मामलों में, मैं मध्यस्थता करूँ, इस हेतु से वे मुझसे मिलने आये थे। उनसे मैंने एक सामान्य-सा प्रश्न पूछा- ‘आप लोग हमेशा अपने दल का और आपके दल के हाथ में सत्ता किस तरह आये, इसी का विचार किया करते हैं। परंतु दलीय निष्ठा व दलीय हितों का विचार करते समय क्या आप संपूर्ण देश के हितों का कभी विचार करते हैं?’ इस सामान्य से प्रश्न का ‘हाँ’ में उत्तर देने कोई सामने नहीं आया। समग्र देश के हितों का विचार सचमुच उनके सामने होता, तो वे वैसा साफ-साफ कह सकते थे, किंतु उन्होंने नहीं कहा। इसका अर्थ स्पष्ट है कि कोई भी दल समग्र देश का विचार नहीं करता। मैं समग्र देश का विचार करता हूं। इसलिये मैं हिंदुओं के लिये कार्य करता हूँ, परंतु कल यदि हिंदू भी देश के हितों के विरुद्ध जाने लगें, तब उनमें मेरी कौन-सी रुचि रह जायेगी?

रही मुसलमानों की बात। मैं यह समझ सकता हूँ कि अन्य लोगों की तरह उनकी भी न्यायोचित माँगें पूरी की जानी चाहिये, परंतु जब चाहे, तब विभिन्न सहूलियतों और विशेषाधिकारों की माँगें करते रहना कतई न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। मैंने सुना है कि प्रत्येक प्रदेश में एक छोटे पाकिस्तान की माँग उठाई गई है। जैसा कि प्रकाशित हुआ है, एक मुस्लिम संगठन के अध्यक्ष ने तो लाल किले पर अपना झंडा फहराने की योजना की बात कही है। उन महाशय ने अब तक इसका खंडन भी नहीं किया है। ऐसी बातों से समग्र देश का विचार करने वालों का संतप्त होना स्वाभाविक है।

उर्दू के आग्रह का विचार करें। पचास वर्षों के पूर्व तक विभिन्न प्रांतों के मुसलमान अपने-अपने प्रांतों की भाषायें बोला करते थे तथा उन्हीं भाषाओं में शिक्षा-ग्रहण किया करते थे। उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि उनके धर्म की कोई अलग भाषा है।

उर्दू मुसलमानों की धर्म-भाषा नहीं है। मुगलों के समय में एक संकर भाषा के रूप में वह उत्पन्न हुई। इस्लाम के साथ उसका रत्ती-भर संबंध नहीं है। पवित्र कुरान अरबी में लिखा है। अतः मुसलमानों की अगर कोई धर्म-भाषा हो, तो वह अरबी ही होगी। ऐसा होते हुए भी आज उर्दू का इतना आग्रह क्यों? इसका कारण यह है कि इस भाषा के सहारे वे मुसलमानों को एक राजनीतिक शक्ति के रूप में संगठित करना चाहते हैं। यह संभावना ही नहीं तो एक निश्चित तथ्य है कि इस तरह की राजनीतिक शक्ति देशहित के विरुद्ध ही जायेगी।

कुछ मुसलमान कहते हैं कि उनका राष्ट्र-पुरुष रुस्तम है। सच पूछा जाये, तो मुसलमानों का रुस्तम से क्या संबंध? रुस्तम तो इस्लाम के उदय के पूर्व ही हुआ था। वह कैसे उनका राष्ट्र-पुरुष हो सकता है? और फिर, प्रभु रामचंद्र जी क्यों नहीं हो सकते? मैं पूछता हूँ कि आप यह इतिहास स्वीकार क्यों नहीं करते?

पाकिस्तान ने पाणिनि की 5 हजारवीं जयंती मनाई। इसका कारण यह है कि जो हिस्सा पाकिस्तान के नाम से पहचाना जाता है, वहीं पाणिनी का जन्म हुआ था। यदि पाकिस्तान के लोग गर्व के साथ यह कह सकते हैं कि पाणिनी उनके पूर्वजों में से एक हैं, तो फिर भारत के मुसलमान (मैं उन्हें हिंदू मुसलमान कहता हूँ) पाणिनी, व्यास, वाल्मीकि, राम, कृष्ण आदि को अभिमानपूर्वक अपने महान पूर्वज क्यों नहीं मानते?

हिंदुओं में ऐसे अनेक लोग हैं, जो राम, कृष्ण आदि को ईश्वर के अवतार नहीं मानते। फिर भी वे उन्हें महापुरुष मानते हैं, अनुकरणीय मानते हैं। इसलिये मुसलमान भी यदि उन्हें अवतारी पुरुष न मानें, तो कुछ नहीं बिगड़ने वाला, परंतु क्या उन्हें राष्ट्रपुरुष नहीं माना जाना चाहिये?

हमारे धर्म और तत्त्वज्ञान की शिक्षा के अनुसार हिंदू और मुसलमान समान ही हैं। ऐसी बात नहीं कि ईश्वरीय सत्य का साक्षात्कार केवल हिंदू ही कर सकता है। अपने-अपने धर्म-मत के अनुसार कोई भी साक्षात्कार कर सकता है।

श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य का ही उदाहरण लें। यह उदाहरण, वर्तमान शंकराचार्य के गुरु का है। एक अमेरिकी व्यक्ति उनके पास आया और उसने प्रार्थना की कि उसे हिंदू बना लिया जाये। इस पर शंकराचार्य जी ने उससे पूछा- ‘वह हिंदू क्यों बनना चाहता है’ उसने उत्तर दिया कि ईसाई धर्म से उसे शांति प्राप्त नहीं हुई है। आध्यात्मिक तृष्णा भी अतृप्त ही है।

इस पर शंकराचार्य जी ने उससे कहा- ‘क्या तुमने ईसाई धर्म का प्रमाणिकतापूर्वक पालन किया है? यदि तुम इस निष्कर्ष पर पहुँच चुके होगे कि ईसाई धर्म का पालन करने के बाद भी तुम्हें शांति नहीं मिली, तो मेरे पास अवश्य आओ।’

हमारा दृष्टिकोण इस तरह का है। हमारा धर्म, धर्म-परिवर्तन न करानेवाला धर्म है। धर्मांतरण तो प्रायः राजनीतिक अथवा अन्य हेतु से कराये जाते हैं। इस तरह का धर्म-परिवर्तन हमें स्वीकार नहीं है। हम कहते हैं- ‘यह सत्य है। तुम्हें जँचता हो तो स्वीकारो, अन्यथा छोड़ दो।’

दक्षिण की यात्रा के दौरान मदुरै में कुछ लोग मुझसे मिलने के लिये आये। मुस्लिम-समस्या पर वे मुझसे चर्चा कर मुसलमानों के विषय में मेरा दृष्टिकोण चाहते थे। मैंने उनसे कहा- ‘आप लोग मुझसे मिलने आये, मुझे बड़ा आनंद हुआ। हमें यह बात हमेशा ध्यान में रखनी होगी कि हम सबके पूर्वज एक ही हैं। हम सब उनके वंशज हैं। आप अपने-अपने धर्मों का प्रामाणिकता से पालन करें, परंतु राष्ट्र के मामले में हम सबको एक रहना चाहिये। राष्ट्रहित के लिये बाधक सिद्ध होने वाले अधिकारों और सहूलियतों की माँग बंद होनी चाहिये। हम हिंदू हैं, इसलिये हम विशेष सहूलियतों या अधिकारों की कभी बात नहीं करते। ऐसी स्थिति में कुछ लोग यदि कहने लगें कि ‘हमें अलग होना है’, ‘हमें अलग प्रदेश चाहिये’ तो यह कतई सहन नहीं होगा।’

ऐसी बात नहीं है कि यह प्रश्न केवल हिंदू और मुसलमानों की बीच ही हो। यह समस्या तो हिंदुओं के बीच भी है। जैसे हिंदू समाज में जैन लोग हैं, तथाकथित अनुसूचित जातियाँ हैं। अनुसूचित जातियों में से कुछ लोगों ने डा। अम्बेडकर के अनुयायी बनकर बौद्ध धर्म ग्रहण किया। अब वे कहते हैं कि- ‘हम अलग हैं।’ अपने देश में अल्पसंख्यकों को कुछ विशेष राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं। इसलिये प्रत्येक गुट स्वयं को अल्पसंख्यक बताने का प्रयास कर रहा है तथा उसके आधार पर कुछ विशेष अधिकार और सहूलियतें माँग रहा है। इससे अपने देश के अनेक टुकड़े हो जायेंगे और सर्वनाश होगा। हम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं। कुछ जैन-मुनि मुझसे मिले। उन्होंने कहा ‘हम हिंदू नहीं हैं। अगली जनगणना में हम स्वयं को जैन के नाम से दर्ज करायेंगे।’ मैंने कहा- ‘आप आत्मघाती सपने देख रहे हो।’ अलगाव का अर्थ है- देश का विभाजन और विभाजन का परिणाम होगा आत्मघात।

जब लोग प्रत्येक बात का विचार राजनीतिक स्वार्थ की दृष्टि से करने लगते हैं, तब अनेक भीषण समस्यायें उत्पन्न होती हैं, किंतु इस स्वार्थ को अलग रखते ही अपना देश एकसंघ बन सकता है। फिर हम संपूर्ण विश्व की चुनौती का सामना कर सकते हैं।

डॉ जिलानी: भौतिकतावाद और विशेषतः साम्यवाद से अपने देश के लिये खतरा पैदा हो गया है। हिंदू और मुसलमान दोनों ही ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास रखते हैं। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि दोनों मिलकर इस संकट का मुकाबला कर सकते हैं?

श्री गुरुजी: यही प्रश्न कश्मीर के सज्जन ने मुझसे किया था। उनका नाम संभवतः नाजिर अली है। अलीगढ़ में मेरे एक मित्र अधिवक्ता श्री मिश्रीलाल के निवास-स्थान पर वे मिले थे। उन्होंने कहा- ‘नास्तिकता और साम्यवाद हम सभी पर अतिक्रमण हेतु प्रयत्नशील हैं। अतः ईश्वर पर विश्वास रखने वाले हम सभी को चाहिये कि हम सामूहिक रूप से इस खतरे का मुकाबला करें।

मैंने कहा, ‘मैं आपसे सहमत हूँ’, परंतु कठिनाई यह है कि हम सबने मानो ईश्वर की प्रतिमा के टुकड़े-टुकड़े कर डाले हैं और हरेक ने एक-एक टुकड़ा उठा लिया है। आप ईश्वर की ओर अलग दृष्टि से देखते हैं, ईसाई अलग दृष्टि से देखते हैं। बौद्ध लोग तो कहते हैं कि ईश्वर तो है ही नहीं, जो कुछ है, वह निर्वाण ही है। जैन लोग कहते हैं कि सब कुछ शून्याकार ही है। हममें से अनेक लोग राम, कृष्ण, शिव आदि के रूप में ईश्वर की उपासना करते हैं। इन सबको आप यह किस तरह कह सकेंगे कि एक ही सर्वमान्य ईश्वर को माना जाये। इसके लिये आपके पास क्या कोई उपाय है?’ मेरी यह धारणा थी कि सूफी ईश्वरवादी और विचारशील हुआ करते हैं, परंतु उस सूफी सज्जन ने जो उत्तर दिया, उसे सुनकर आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे। उन्होंने कहा- ‘तो फिर आप सब लोग इस्लाम ही क्यों नहीं स्वीकार कर लेते?’

मैंने कहा- ‘फिर तो कुछ लोग कहेंगे कि ईसाई क्यों नहीं बन जाते? मेरे धर्म के प्रति मेरी निष्ठा है, इसलिये मैं यदि आपसे कहूं कि आप हिंदू क्यों नहीं बन जाते, तब? याने समस्या वैसी की वैसी ही रह गई। वह कभी हल नहीं होगी।

इस पर उन्होंने मुझसे पूछा कि आपकी क्या राय है? मैंने बताया कि सभी अपने-अपने धर्म का पालन करें। एक ऐसा सर्वसारभूत तत्वज्ञान है, जो केवल हिंदुओं का या केवल मुसलमानों का ही हो, ऐसी बात नहीं है। इस तत्त्वज्ञान को आप अद्वैत कहें या और कुछ। यह तत्त्वज्ञान कहता है कि एक एकमेवाद्वितीय शक्ति है, वही सत्य है, वही आनन्द है, वही सृजन, रक्षण और संहार करती है। अपनी ईश्वर की कल्पना उसी सत्य का सीमित अंश है। अंतिम सत्य का यह मूलभूत रूप किसी धर्म-विशेष का नहीं, अपितु सर्वमान्य है। यही रूप हम सबको एकत्रित कर सकता है। सभी धर्म वस्तुतः ईश्वर की ओर ही उन्मुख करते हैं। अतः यह सत्य आप क्यों स्वीकार नहीं करते कि मुसलमानों, ईसाईयों और हिंदुओं का परमात्मा एक ही है और हम सब उसके भक्त हैं। एक सूफी के रूप में तो आपको इसे स्वीकार करना चाहिये। इस पर उनके पास कोई उत्तर नहीं था। दुर्भाग्य से हमारी बातचीत यहीं समाप्त हो गई।

डॉ जिलानी: हिंदू और मुसलमानों के बीच आपसी सद्भावना बहुत है, फिर भी समय-समय पर छोटे-बड़े झगड़े होते ही रहते हैं। इन झगड़ों को मिटाने के लिये आपकी राय में क्या किया जाना चाहिये?

श्रीगुरुजी: आप अपने लेखों में इन झगड़ों का एक कारण हमेशा बताते हैं। वह कारण है गाय। दुर्भाग्य से अपने लोग और राजनीतिक नेता भी इस कारण का विचार नहीं करते। परिणामतः देश के बहुसंख्यकों में कटुता की भावना उत्पन्न होती है। मेरी समझ में नहीं आता कि गोहत्या के विषय में इतना आग्रह क्यों है? इसके लिये कोई कारण दिखाई नहीं देता। इस्लाम-धर्म गोहत्या का आदेश नहीं देता। पुराने जमाने में हिंदुओं को अपमानित करने का वह एक तरीका रहा होगा। अब वह क्यों चलना चाहिये?

इसी प्रकार की अनेक छोटी-बड़ी बातें हैं। आपस के पर्वों-त्यौहारों में हम क्यों सम्मिलित न हों? होलिकोत्सव समाज के सभी स्तरों के लोगों को अत्यंत उल्लासयुक्त वातावरण में एकत्रित करने वाला त्यौहार है। मान लीजिये कि इस त्यौहार के समय किसी मुस्लिम बंधु पर कोई रंग उड़ा देता है, तो इतने मात्र से क्या कुरान की आज्ञाओं का उल्लंघन हो जाता है? इन बातों की ओर एक सामाजिक व्यवहार के रूप में देखा जाना चाहिये। मैं आप पर रंग छिड़कूँ, आप मुझ पर छि़ड़कें। हमारे लोग तो कितने ही वर्षों से मोहर्रम के सभी कार्यक्रमों में सम्मिलित होते आ रहे हैं। इतना हीं नहीं तो अजमेर के उर्स जैसे कितने ही उत्सवों-त्यौहारों में मुसलमानों के साथ हमारे लोग भी उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते हैं। किंतु हमारी सत्यनारायण की पूजा में यदि कुछ मुसलमान बंधुओं को हम आमंत्रित करें तो क्या होगा? आपको विदित होगा कि द्रमुक के लोग अपने मंत्रिमंडल के एक मुस्लिम मंत्री को रामेश्वर के मंदिर में ले गये। मंदिर के अधिकारियों, पुजारियों और अन्य लोगों ने उक्त मंत्री का यथोचित मान-सम्मान किया, किंतु उसे जब मंदिर का प्रसाद दिया गया, तो उसने उसे फेंक दिया। प्रसाद ग्रहण करने मात्र से तो वह धर्मभ्रष्ट होने वाला नहीं था। इसी तरह की छोटी-छोटी बातें हैं। अतः पारस्परिक आदर की भावना उत्पन्न की जानी चाहिये।

हमें जो वृत्ति अभिप्रेत है, वह सहिष्णुता मात्र नहीं है। अन्य लोग जो कुछ करते हैं, उसे सहन करना सहिष्णुता है। परंतु अन्य लोग जो कुछ करते हों, उसके प्रति आदर-भाव रखना सहिष्णुता से ऊँची बात है। इसी वृत्ति, इसी भावना को प्राधान्य दिया जाना चाहिये। हमें सबके विषय में आदर है। यही मार्ग मानवता के लिये हितकारक है। हमारा वाद सहिष्णुतावाद नहीं, अपितु सम्मानवाद है। दूसरों के मत का आदर करना हम सीखें तो सहिष्णुता स्वयंमेव चली आयेगी।

डॉ जिलानी: हिंदू और मुसलमानों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के कार्य के लिये आगे आने की योग्यता किसमें है, राजनीतिक नेता में, शिक्षाशास्त्री में या धार्मिक नेता में?

श्रीगुरुजी: इस मामले में राजनीतिज्ञ का क्रम तो सबसे अंत में लगता है। धार्मिक नेताओं के विषय में भी यही कहना होगा। आज अपने देश में दोनों ही जातियों के धार्मिक नेता अत्यंत संकुचित मनोवृत्ति के हैं। इस काम के लिये नितांत अलग प्रकार के लोगों की आवश्यकता है। जो लोग धार्मिक तो हों, किंतु राजनीतिक नेतागिरी न करते हों और जिनके मन में समग्र राष्ट्र का विचार सदैव जागृत रहता हो। धर्म के अधिष्ठान के बिना कुछ भी हासिल नहीं होगा। धार्मिकता होनी ही चाहिए। रामकृष्ण मिशन को ही लें। यह आश्रम व्यापक और सर्वसमावेशक धर्म-प्रचार का कार्य कर रहा है। अतः आज तो इसी दृष्टिकोण और वृत्ति की आवश्यकता है कि ईश्वरोपासनाविषयक विभिन्न श्रद्धाओं को नष्ट न कर हम उनका आदर करें, उन्हें टिकाये रखें और उन्हें वृद्धिगत होने दें।

राजनीतिक नेताओं के जो खेल चलते हैं, उन्हीं से भेदभाव उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है। जातियों, पंथों पर तो वे जोर देते हैं, साथ ही भाषा, हिंदू-मुस्लिम आदि भेद भी वे पैदा करते हैं। परिणामतः अपनी समस्यायें अधिकाधिक जटिल होती जा रही हैं। जाति-संबंधी समस्या के मामले में तो राजनीतिक नेता ही वास्तविक खलनायक हैं। दुर्भाग्य से राजनीतिक नेता ही आज जनता का नेता बन बैठा है, जबकि चाहिये तो यह था कि सच्चे, विद्वान, सुशील और ईश्वर के परमभक्त महापुरुष जनता के नेता बनते। परंतु इस दृष्टि से आज उनका कोई स्थान ही नहीं है। इसके विपरीत नेतृत्व आज राजनीतिक नेताओं के हाथों में है। जिनके हाथों में नेतृत्व है, वे राजनीतिक पशु बन गये हैं। अतः हमें लोगों को जागृत करना चाहिये।

दो दिन पूर्व ही मैंने प्रयाग में कहा है कि लोगों को राजनीतिक नेताओं के पीछे नहीं जाना चाहिये, अपितु ऐसे सतपुरुषों का अनुकरण करें, जो परमात्मा के चरणों में लीन हैं, जिनमें चारित्र्य है और जिनकी दृष्टि विशाल है।

डॉ जिलानी: क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि जातीय सामंजस्य-निर्माण का उत्तरदायित्व बहुसंख्यक समाज के रूप में हिंदुओं पर है?

श्रीगुरुजी: हाँ। मुझे यही लगता है, परंतु कुछ कठिनाइयों का विचार किया जाना चाहिये। अपने नेतागण संपूर्ण दोष हिंदुओं पर लादकर मुसलमानों को दोषमुक्त कर देते हैं। इसके कारण जातीय उपद्रव करने के लिये अल्पसंख्यक समाज, याने मुस्लिमों को सब प्रकार का प्रोत्साहन मिलता है। इसलिये हमारा कहना है कि इस मामले में दोनों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिये।

डॉ जिलानी: आपकी राय में आपसी सामंजस्य की दिशा में तत्काल कौन से कदम उठाये जाने चाहिये?

श्रीगुरुजी: इस तरह से एकदम कुछ कहना बहुत ही कठिन है, फिर भी सोचा जा सकता है। व्यापक पैमाने पर धर्म की यथार्थ शिक्षा देना एक उपाय हो सकता है। राजनीतिक नेताओं द्वारा समर्थित आज जैसी धर्महीन शिक्षा नहीं, अपितु सच्चे अर्थों में धर्म-शिक्षा लोगों को इस्लाम व हिंदू धर्म का ज्ञान कराये। सभी धर्म मनुष्य को महान, पवित्र और मंगलमय बनने की शिक्षा देते हैं। यह लोगों को सिखाया जाये।

दूसरा उपाय यह हो सकता है कि जैसा हमारा इतिहास है, वैसा ही हम पढ़ायें। आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह विकृत रूप में पढ़ाया जाता है। मुस्लिमों ने इस देश पर आक्रमण किया हो तो वह हम स्पष्ट रूप से बतायें, परंतु साथ ही यह भी बतायें कि वह आक्रमणकारी भूतकालीन हैं और विदेशियों ने किया है। मुसलमान यह कहें कि वे इस देश के मुसलमान हैं और ये आक्रमण उनकी विरासत नहीं हैं। परन्तु जो सही है, उसे पढ़ाने के स्थान पर जो असत्य है, विकृत है, वही आज पढ़ाया जाता है। सत्य बहुत दिनों तक दबाकर नहीं रखा जा सकता। अंततः वह सामने आता है और तब उससे लोगों में दुर्भावना निर्माण होती है। इसलिये मैं कहता हूं इतिहास जैसा है वैसा ही पढ़ाया जाये। अफजलखाँ को शिवाजी ने मारा है, तो वैसा ही बताओ। कहो कि एक विदेशी आक्रामक और एक राष्ट्रीय नेता के तनावपूर्ण संबंधों के कारण यह घटना हुई। यह भी बतायें कि हम सब एक ही राष्ट्र हैं, इसलिये हमारी परंपरा अफजलखाँ की नहीं है। परन्तु यह कहने की हिम्मत कोई नहीं करता। इतिहास के विकृतिकरण को मैं अनेक बार धिक्कार चुका हूँ और आज भी उसे धिक्कारता हूँ।

डॉ जिलानी: भारतीयकरण पर बहुत चर्चा हुई, भ्रम भी बहुत निर्माण हुये। क्या आप बता सकेंगे कि ये भ्रम कैसे दूर किये जा सकेंगे?

श्री गुरुजी: भारतीयकरण की घोषणा जनसंघ द्वारा की गई, किंतु इस मामले में संभ्रम क्यों होना चाहिये? भारतीयकरण का अर्थ सबको हिंदू बनाना तो है नहीं।

हम सभी को यह सत्य समझ लेना चाहिये कि हम इसी भूमि के पुत्र हैं। अतः इस विषय में अपनी निष्ठा अविचल रहना अनिवार्य है। हम सब एक ही मानव समूह के अंग हैं, हम सबके पूर्वज एक ही हैं, इसलिये हम सबकी आकांक्षायें भी एक समान हैं- इसे समझना ही सही अर्थों में भारतीयकरण है।

भारतीयकरण का यह अर्थ नहीं कि कोई अपनी पूजा-पद्धति त्याग दे। यह बात हमने कभी नहीं कही और कभी कहेंगे भी नहीं। हमारी तो यह मान्यता है कि उपासना की एक ही पद्धति संपूर्ण मानव जाति के लिये सुविधाजनक नहीं।

डॉ जिलानी: आपकी बात सही है। बिलकुल सौ फीसदी सही है। अतः इस सपष्टीकरण के लिये मैं आपका बहुत ही कृतज्ञ हूँ।

श्रीगुरुजी: फिर भी मुझे संदेह है कि सब बातें मैं स्पष्ट कर सका हूँ या नहीं।

डॉ जिलानी: कोई बात नहीं। आपने अपनी ओर से बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट किया है। कोई भी विचारशील और भला आदमी आपसे असहमत नहीं होगा। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि अपने देश का जातीय बेसुरापन समाप्त करने का उपाय ढूँढने में आपको सहयोग दे सकें, ऐसे मुस्लिम नेताओं की और आपकी बैठक आयोजित करने का अब समय आ गया है? ऐसे नेताओं से भेंट करना क्या आप पसंद करेंगे?

श्रीगुरुजी: केवल पसंद ही नहीं करूँगा, ऐसी भेंट का मैं स्वागत करूँगा।

लेख
हिमाचल की हेला या बुआरा प्रथा

एक युग था जब हिमाचल के गांवों में सारा काम काज एक इकाई के अधीन होता था। गांव का हर व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ा रहता था। उन सब में आपसी सहयोग की भावना होती थी। यहां तक कि कोई अपाहिज, बूढ़ा बिना कमाई के नहीं रह पाता था। यह ठीक है कि अपाहिज होने … Continue reading हिमाचल की हेला या बुआरा प्रथा


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सहअस्तित्व की भावना ही सामाजिक समरसता

हिमाचल एक पहाड़ी प्रदेश है। देवभूमि के नाम से विख्यात यह प्रदेश अपनी समृद्ध धार्मिक-सांस्कृतिक परम्पराओं के लिए देश दुनिया में जाना जाता है। देव संस्कृति आधारित समाज जीवन व्यवस्था यहाँ के लोक जीवन की धुरी है। यहां की लोक-संस्कृति और मान्यताओं में सामाजिक सद्भावना के दर्शन होते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान के केंद्र स्वरूप देवालयों … Continue reading सहअस्तित्व की भावना ही सामाजिक समरसता


अमर बलिदानी श्री गुरु अर्जुनदेव जी एक जीवन परिचय !! बलिदान दिवस पर शत शत नमन

शांति के पुंज, शहीदों के सरताज, सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है। मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी श्री गुरु अर्जुन देव जी अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे। वह दिन-रात संगत की सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी … Continue reading अमर बलिदानी श्री गुरु अर्जुनदेव जी एक जीवन परिचय !! बलिदान दिवस पर शत शत नमन


कर्म करने की प्रेरणा देती है भगवद्गीता

(21 दिसंबर, गीता जयन्ती पर विशेष) “जब शंकाएं मुझ पर हावी होती हैं, और निराशाएं मुझे घूरती हैं, जब दिगंत में कोई आशा की किरण मुझे नजर नहीं आती, तब मैं गीता की ओर देखता हूं.” – महात्मा गांधी. संसार का सबसे पुराना दर्शन ग्रन्थ है भगवद्गीता. साथ ही साथ विवेक, ज्ञान एवं प्रबोधन के … Continue reading कर्म करने की प्रेरणा देती है भगवद्गीता


दिग्विजय से पायें विश्व विजय की प्रेरणा

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मदर टेरेसा का ईसाई मिशनरीज

कानून के विरोध में ईसाई मिशनरियों ने कोलकाता में प्रदर्शन करने व जुलूस निकालने शुरु किये। लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ, जब मदर टेरेसा भी इन प्रदर्शनों में अग्रिम पंक्तियों में देखी गईं। मदर टेरेसा सेवा कार्यों में लगी हुई थीं, उनका विदेशी पैसे के बल पर मतान्तरण के काम में लगे इन ईसाई समूहों … Continue reading मदर टेरेसा का ईसाई मिशनरीज


समाचार
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मानवाधिकार मंच हिमाचल ने केरल में हो रही हिंसा के विरोध में किया प्रदर्शन शिमला (विसंकें). मानवाधिकार रक्षा मंच हिमाचल प्रदेश ने शिमला में केरल में मार्क्सवादी (कम्युनिस्ट) सरकार के संरक्षण में राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की श्रृंखलाबद्ध हत्याओं के विरोध में प्रदर्शन किया. राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा. शिमला के … Continue reading भारत में जितनी आजादी मिली है, शायद ही विश्व के अन्य किसी देश में हो – संजीवन कुमार जी


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केरल में माकपा गुंडों द्वारा राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में मानव अधिकार मंच का धरना भोपाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी ने कहा कि पिछले 8 महीनों में केरल में मार्क्सवादियों की सरकार आने के बाद पौने दो लाख आपराधिक मामले पंजीकृत हुए हैं. इनमें … Continue reading केरल में माकपा ने देवभूमि को कत्लखाना बना दिया – जे. नंदकुमार जी


समाज कार्य रूपी यज्ञ में तपस्या गुप्त सरस्वती की तरह सतत जारी रहनी चाहिये – डॉ. मोहन भागवत जी

चित्रकूट (विसंकें). चार दिवसीय विशाल ग्रामोदय मेले का समापन राष्ट्रऋषि नानाजी की सातवीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित जन संवाद कार्यक्रम के साथ हुआ. संवाद कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के साथ ही केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रुढ़ी उपस्थित थे. … Continue reading समाज कार्य रूपी यज्ञ में तपस्या गुप्त सरस्वती की तरह सतत जारी रहनी चाहिये – डॉ. मोहन भागवत जी


‘भारत माता की जय’ हमारे हृदय की भाषा है – डॉ. मोहन भागवत जी

दुनिया भारत को विश्वगुरु की भूमिका में देख रही है – डॉ. मोहन भागवत जी भोपाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि जब हम हिन्दू समाज कहते हैं, तब उसका अर्थ होता है, संगठित हिन्दू. यदि हममें किसी भी प्रकार का भेद और झगड़ा है, तब हम अस्वस्थ समाज हैं. … Continue reading ‘भारत माता की जय’ हमारे हृदय की भाषा है – डॉ. मोहन भागवत जी


समाज से विघटनकारी शक्तियों को करना होगा समाप्त – सीताराम व्यास जी

मेले के आखिरी दिन संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम देखने पहुंचे एक लाख से अधिक लोग गुरुग्राम (विसंकें). हरियाणा में पहली बार गुरुग्राम के लेजरवैली पार्क में आयोजित हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के अंतिम दिन देश की विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम दिखाई दिया. देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए कलाकारों की बेहतरीन … Continue reading समाज से विघटनकारी शक्तियों को करना होगा समाप्त – सीताराम व्यास जी


दुनिया को परिवार के रूप में हिन्दू संस्कृति ही बांध सकती है – ज्ञानानंद जी महाराज

हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में गंगापूजन, गोधन पूजन, तुलसी पूजन कर प्रकृति वंदन किया गुरुग्राम (विसंकें). हरियाणा के गुरुग्राम (गुड़गांव) के लेजरवैली पार्क में गुरुवार को हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले की भव्य शुरुआत हुई. भारतीय संस्कृति, सभ्यता, हिन्दू संस्कारों के साथ-साथ हिन्दुओं के सेवा कार्य को दुनिया के सामने रखने के उद्देश्य से … Continue reading दुनिया को परिवार के रूप में हिन्दू संस्कृति ही बांध सकती है – ज्ञानानंद जी महाराज


छह मई को खुलेंगे श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट

देहरादून (विसंकें). चार धामों में से एक श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित कर दी गई है. धाम के कपाट आगामी छह मई को ब्रह्ममुहूर्त में 4.15 बजे खोले जाएंगे. जबकि, बद्रीविशाल के अभिषेक में प्रयुक्त होने वाले तिल के तेल का कलश (गाडू घड़ा) 22 अप्रैल को नरेंद्रनगर स्थित राजमहल से … Continue reading छह मई को खुलेंगे श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट


बिना किसी अपेक्षा के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना ही स्वयंसेवकों का ध्येय रहता है – इंद्रेश कुमार जी

शिमला (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में महिलाएं सेविका समिति के माध्यम से काम रही है. उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य प्रत्येक नागरिक में चरित्र निर्माण करना है, इसके लिए ही यह वर्ग आयोजित किए जाते हैं. इसमें प्रशिक्षण लेकर स्वयंसेवक … Continue reading बिना किसी अपेक्षा के निःस्वार्थ भाव से सेवा करना ही स्वयंसेवकों का ध्येय रहता है – इंद्रेश कुमार जी


-3 डिग्री तापमान में संघ का प्रशिक्षण ले रहे हैं स्वयंसेवक

शिमला. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्यकर्ता निर्माण के लिए वर्गों का विशेष महत्व है. ऐसे वर्गों से ही देश और समाज के लिए देशभक्त, अनुशासित, चरित्रवान और निःस्वार्थ भाव से काम करने वाले कार्यकर्ता तैयार होते हैं. वह समाज के प्रति संवेदनशील बनते हैं, जो संकट के समय सबसे पहले लोगों की मदद के लिए … Continue reading -3 डिग्री तापमान में संघ का प्रशिक्षण ले रहे हैं स्वयंसेवक


यह देश करुणा, सामंजस्य, समन्वय, शान्ति और धर्म का है – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने ‘सामाजिक समरसता और हिन्दुत्व’ एवं ‘दत्तोपंत ठेंगड़ी जीवन दर्शन व एकात्म मानववाद – खंड 7 व 8’ नाम से तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया. नई दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इन पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर नेशनल … Continue reading यह देश करुणा, सामंजस्य, समन्वय, शान्ति और धर्म का है – डॉ. कृष्ण गोपाल जी


शिमला में संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष शुरू

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिमाचल प्रांत का संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) शिमला के हिमरश्मि विद्यालय परिसर में 08 जनवरी, दोपहर 12.30 बजे से शुरू हो गया है. वर्ग की कुल संख्या 206 है, जिसमें हिमाचल से 203 और दिल्ली, पंजाब, हरियाणा से तीन स्वयंसेवक भाग ले रहे हैं. शिक्षार्थियों के लिए वर्ग विशेष रहने … Continue reading शिमला में संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष शुरू


सबल समाज सब को साथ लेकर चलता है – सुरेश भय्या जी जोशी

श्रद्धेय भाऊ साहेब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला टिमरनी मध्यभारत (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने कहा कि प.पू. बाला साहेब देवरस (तृतीय सरसंघचालक) का जीवन संघ का इतिहास है. उनके जीवन में संघ के अलावा और कुछ नहीं था. संघ कार्य को गति और दिशा देने वाले लोगों में उनका विशेष … Continue reading सबल समाज सब को साथ लेकर चलता है – सुरेश भय्या जी जोशी


वैभवशाली, शक्तिशाली, संगठित व स्वाभिमानी भारत बनाना है – दत्तात्रेय होसबले जी

रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि हमें वैभवशाली, शक्तिशाली, चरित्रवान एवं संगठित भारत बनाना है. जिस भारत मां ने हमें सब कुछ दिया है, उसके लिए हम भी कुछ करना सीखें. स्वयंसेवक इसी भाव को लेकर काम भी करता है. वह पूरे देश को अपना मानता है. काम करने … Continue reading वैभवशाली, शक्तिशाली, संगठित व स्वाभिमानी भारत बनाना है – दत्तात्रेय होसबले जी


संघ आत्मीयता, स्नेह व प्रेम बांटता है – बनवीर कुमार जी

करनाल (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचारक बनवीर कुमार जी ने कहा कि संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने हमें संघ का जो मार्ग दिखाया, वह हमें आत्मीयता, स्नेह व प्रेम की भावना सीखाता है. संघ का काम व्यक्ति निर्माण (चरित्रवान व्यक्ति) का है, पहले यह काम घर-घर में … Continue reading संघ आत्मीयता, स्नेह व प्रेम बांटता है – बनवीर कुमार जी


वरिष्ठ प्रचारक सूर्यकृष्ण जी का निधन, चिकित्सा शोध हेतु देहदान

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री सूर्यकृष्ण जी का 13 मार्च रविवार दोपहर 12.30 बजे निधन हो गया. उन्होंने नेत्रदान व देहदान का संकल्प लिया था. जिसके अनुसार नेत्रदान तथा देहदान की प्रक्रिया को पूरा किया गया. श्री सूर्यकृष्ण जी का जन्म 23 मई 1934 को मिंटगुमरी में हुआ था. उनके पिता … Continue reading वरिष्ठ प्रचारक सूर्यकृष्ण जी का निधन, चिकित्सा शोध हेतु देहदान


प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता लाने का आह्वान – भय्या जी जोशी

नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि समाज के अंदर भेदभावपूर्ण वातावरण चिंतनीय है. मीरा की धरती से अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर समाज में समरसता लाने का आह्वान किया है कि प्रत्येक व्यक्ति को दैनंदिन जीवन में व्यक्तिगत, पारिवारिक, तथा सामाजिक स्तर पर … Continue reading प्रतिनिधि सभा ने किया समाज में समरसता लाने का आह्वान – भय्या जी जोशी


जयपुर में पुनः अपने मूल स्थान पर विराजे रोजगारेश्वर महादेव

जयपुर (विसंकें). त्रिवेणी धाम के पूज्य नारायणदास जी महाराज ने प्रातः 10.15 बजे रोजगारेश्वर महादेव की शिव पंचायत सहित पुनः मूल स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा की तो छोटी काशी हर-हर महादेव, बम-बम भोले के जयकारों से गुंज उठी. पूज्य नारायण दास जी महाराज ने कहा कि रोजगारेश्वर महादेव मन्दिर की पुर्नस्थापना हिन्दू समाज के लिए … Continue reading जयपुर में पुनः अपने मूल स्थान पर विराजे रोजगारेश्वर महादेव


नागौर में सरसंघचालक जी ने प्रतिनिधि सभा की बैठक का शुभारंभ किया

नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक शुक्रवार सुबह से नागौर (राजस्थान) में शुरू हो गई. प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक का विधिवत शुभारंभ सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने किया. तीन दिवसीय बैठक के दौरान देश व समाज से जुड़े अहम … Continue reading नागौर में सरसंघचालक जी ने प्रतिनिधि सभा की बैठक का शुभारंभ किया


पिछले एक वर्ष में बढ़ीं 5524 शाखाएं और 925 मिलन – डॉ. कृष्णगोपाल जी

नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि देशभर में संघ के कार्य में निरंतर वृद्धि हो रही है. पिछले एक वर्ष के दौरान 5524 शाखाएं तथा 925 मिलन (साप्ताहिक शाखा) बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में 40922 शाखाएं थीं, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 51335 … Continue reading पिछले एक वर्ष में बढ़ीं 5524 शाखाएं और 925 मिलन – डॉ. कृष्णगोपाल जी


सस्ती, सुलभ एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी को प्राप्त हो – डॉ. मनमोहन वैद्य जी

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा – 2016 नागौर, जोधपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य और समरसता आचरण समाज में बढ़े इन विषयों पर चर्चा की जाएगी. बैठक में स्वयंसेवकों के गणवेश परिवर्तन पर भी निर्णय संभव … Continue reading सस्ती, सुलभ एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी को प्राप्त हो – डॉ. मनमोहन वैद्य जी


समाज हित, राष्ट्र हित को सदैव प्राथमिकता में रखे मीडिया – डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी

चामुण्डा (हिमाचल प्रदेश). हिमाचल प्रदेश के चामुण्डा में उत्तर भारत के नवोदित पत्रकारों के लिए दस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र तथा पत्रकारिता जनसंचार एवं नवमाध्यम विद्याशाखा के संयुक्त तत्वाधान में मातृवंदना संस्थान शिमला के सहयोग से किया जा … Continue reading समाज हित, राष्ट्र हित को सदैव प्राथमिकता में रखे मीडिया – डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी


हिन्दू समाज ने हमेशा सभी को संरक्षण ही दिया है – सुरेश भय्या जी जोशी

कर्णावती (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कर्णावती (गुजरात) में आयोजित सामाजिक सदभाव बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू समाज कभी भी विनाशकारी नहीं रहा है, इस समाज ने हमेशा सभी को संरक्षण ही दिया है. कालान्तर में हिन्दू समाज में कुछ दोष आ गए, क्योंकि उसे अपनी ही … Continue reading हिन्दू समाज ने हमेशा सभी को संरक्षण ही दिया है – सुरेश भय्या जी जोशी


गौभक्तों को सांप्रदायिक कहने वाले माफी मांगें – विहिप

शिमला (विसंकें). चंबा में गोहत्या प्रकरण के बाद विश्व हिंदू परिषद पर प्रशासन की ओर से की गयी विवादित टिप्पणियों के विरोध में सोमवार को विहिप के नेतृत्व में विभिन्न गौभक्त संगठनों ने प्रदेश के 42 स्थानों से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया. राज्यपाल आचार्य देवव्रत को ज्ञापन उपायुक्तों, उपमंडल दंडाधिकारियों एवं तहसीलदारों के माध्यम … Continue reading गौभक्तों को सांप्रदायिक कहने वाले माफी मांगें – विहिप


स्वयंसेवकों की सूझबूझ व बहादुरी से टला बड़ा हादसा

लुधियाना (पंजाब). लुधियाना में स्वयंसवेकों की सूझबूझ व बहादुरी के कारण बड़ा हादसा टल गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पंजाब के प्रांत प्रचारक किशोर कांत जी ने बताया कि  लुधियाना स्थित जनकपुरी संघस्थान पर शाखा लगने से कुछ समय पूर्व लगभग 6.25 पर संघस्थान के बाहर पेड़ की ओट में खड़े एक मोटरसाइकिल सवार से अपने … Continue reading स्वयंसेवकों की सूझबूझ व बहादुरी से टला बड़ा हादसा


विज्ञान में भारतीय छात्रों ने बनाया विश्व कीर्तिमान

नई दिल्ली. विज्ञान के एक प्रैक्टिकल में हिस्सा लेकर भारतीय छात्रों ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करवाया है. भारतीय छात्रों द्वारा बनाए इस विश्व रिकार्ड का उल्लेख करते हुए गिनीज बुक ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि सबसे बड़े प्रायोगिक विज्ञान पाठ में दो हजार छात्रों ने हिस्सा लिया था और … Continue reading विज्ञान में भारतीय छात्रों ने बनाया विश्व कीर्तिमान


पुणे में शिवशक्ति संगम की तैयारियां पूरी, एक लाख से अधिक स्वयंसेवक होंगे सहभागी

पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत की ओर से आयोजित शिवशक्ति संगम की तैयारी पूरी हो चुकी है और इस महासांघिक के लिए पूरे प्रांत से (सरकारी सात जिलों से बना हुआ प्रांत) 1 लाख 20 हजार से अधिक स्वयंसेवक तथा 50 हजार से अधिक नागरिक बांधव उपस्थित रहेंगे. यह जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक … Continue reading पुणे में शिवशक्ति संगम की तैयारियां पूरी, एक लाख से अधिक स्वयंसेवक होंगे सहभागी


भारतीय चिन्तन हराने में नहीं, मन जीतने में विश्वास रखता है – सुरेश भय्या जी जोशी

इंदौर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विश्व के अन्य देशों में कार्यरत शाखा हिन्दू स्वयंसेवक संघ के पांच दिवसीय विश्व संघ शिविर-2015 का शुभारंभ 29 दिसंबर को इंदौर के एमरल्ड हाइट्स इंटरनेशनल में हुआ. शिविर का शुभारंभ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी तथा लोकसभा अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने दीप प्रज्ज्वलन कर … Continue reading भारतीय चिन्तन हराने में नहीं, मन जीतने में विश्वास रखता है – सुरेश भय्या जी जोशी


सामाजिक समता से ही सामाजिक एकता आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी

नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने “सामाजिक समरसता” विषय पर व्याख्यान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश के विकास के लिए सामाजिक एकता की आवश्यकता होती है और समाज में एकता की पूर्व शर्त है सामाजिक समता. जब समता आएगी तो सामाजिक एकता अपने आप आएगी. इसके लिए … Continue reading सामाजिक समता से ही सामाजिक एकता आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी


मानवता को जीवित रखने के लिए गीता के श्लोकों का मनन जरूरी – कप्तान सिंह सोलंकी जी

कुरुक्षेत्र (विसंकें). पंजाब व हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता भारत का विचार है. इसे पवित्र धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की आस्था और जीवन ग्रंथ भी माना जाता है. इसलिए मानवता को जीवित रखने के लिए आज गीता के श्लोकों का मनन करना बहुत जरूरी … Continue reading मानवता को जीवित रखने के लिए गीता के श्लोकों का मनन जरूरी – कप्तान सिंह सोलंकी जी


संघ के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

आगरा (विसंकें). कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री द्वारा फेसबुक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरूद्ध किए गए फर्जी पोस्ट मामले में आगरा पुलिस ने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कर ली है. सदर थाना में दर्ज हुई प्रथम सूचना रिपोर्ट में पुलिस ने डॉ. निर्मल खत्री व अन्य दो व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड … Continue reading संघ के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर पुलिस ने दर्ज की एफआईआर


अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली ने युवाओं में देश​भक्ति की भावना समाप्त कर दी – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल​ जी ने कहा कि आजादी से पहले अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया. उनकी शिक्षा पद्धति ने देश के युवाओं में देशप्रेम की भावना समाप्त कर दी. इसके कारण अपने ही देश के युवा देश के बारे में भला-बुरा कहने लगे. अंग्रेजों ने देश … Continue reading अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली ने युवाओं में देश​भक्ति की भावना समाप्त कर दी – डॉ. कृष्ण गोपाल जी


सभी को एक साथ लेकर चलना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मूल मंत्र – इंद्रेश कुमार जी

इलाहाबाद (काशी). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एकता को अपना सूत्र माना है, जिसमें सबसे अहम सभी को एक साथ लेकर चलने का मूल मंत्र है. इंद्रेश जी रविवार को प्रयाग संगीत समिति में आयोजित एक दिवसीय तरूण संगम के उद्घाटन … Continue reading सभी को एक साथ लेकर चलना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मूल मंत्र – इंद्रेश कुमार जी


हिप्र उच्च न्यायालय में अधिवक्ता परिषद ने संविधान दिवस मनाया

शिमला (विसंकें). 26 नवंबर को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में अधिवक्ता परिषद हिमाचल प्रदेश की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी रहे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायाधीश पीसी राणा, विशिष्ट अतिथि न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर रहे. परिषद … Continue reading हिप्र उच्च न्यायालय में अधिवक्ता परिषद ने संविधान दिवस मनाया


तीन माह में गोवध पर प्रतिबंध के लिए कानून बनाए केंद्र सरकार – हिप्र उच्च न्यायालय

शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को गौहत्या पर राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के आदेश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा है कि गोवध, गोवंशियों के आयात-निर्यात और गोमांस व गोमांस से बने उत्पादों को प्रतिबंधित करने वाले कानून को देश भर में प्रभावी रूप से लागू … Continue reading तीन माह में गोवध पर प्रतिबंध के लिए कानून बनाए केंद्र सरकार – हिप्र उच्च न्यायालय


लोकगाथाओं में स्थित इतिहास को इतिहासकार भी नहीं बदल सकते – प्रेम कुमार धूमल

हमीरपुर । ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी में ‘इतिहास लेखन में लोकगाथाओं का योगदान’ पर चल रहा त्रिदिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद रविवार 04 अक्तूबर को समाप्त हो गय। इस अवसर पर नेता विपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। धूमल ने कहा कि स्वर्गीय ठाकुर राम … Continue reading लोकगाथाओं में स्थित इतिहास को इतिहासकार भी नहीं बदल सकते – प्रेम कुमार धूमल


शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव रखें – राज्यपाल आचार्य देवव्रत

शिमला (विसंकें)। विद्या भारती द्वारा संचालित हिमाचल शिक्षा समिति की नवीनीकृत वेबसाइट का शुभारंभ एवं चयनित विद्या मंदिरों के प्रधानाचार्यों की शिमला में हिमरश्मि सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किया। इस अवसर पर विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा तिलक लगाकर राज्यपाल का स्वागत किया … Continue reading शिक्षक और विद्यार्थी एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव रखें – राज्यपाल आचार्य देवव्रत


आधे सत्य पर पर्दा डालकर, अर्ध सत्य दिखाना देश, समाज के साथ धोखा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि वर्तमान में क्षेत्र सूनामी के दौर से गुजर रहा है। समाचार जगत में मान-सम्मान, चकाचौंध सबकुछ है, पर, इसमें यथार्थ और सत्यता को भी टिकाए रखना है। वर्तमान समय में समाचार को सनसनीखेज बनाने की कोशिश करते हैं, आधे सत्य … Continue reading आधे सत्य पर पर्दा डालकर, अर्ध सत्य दिखाना देश, समाज के साथ धोखा


संघ यानि सामूहिकता, एकात्मता, आत्मीयता का बोध – सह सरकार्यवाह जी

सिलीगुड़ी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भगैय्या जी ने कहा कि कभी नक्सलवाड़ी से गरीब श्रमजीवियों को ससम्मान जीने के लिये एक आंदोलन खड़ा किया गया था। जो माओवाद पर आधारित था। इस हिंसक आन्दोलन से समाज के गरीबों, शोषितों, मजदूरों और वनवासियों का किसी तरह का कोई हित साध्य नहीं हुआ। आज … Continue reading संघ यानि सामूहिकता, एकात्मता, आत्मीयता का बोध – सह सरकार्यवाह जी


दुनिया चाहती है कि आपदा के बाद नेपाल फिर खड़ा हो – सह सरकार्यवाह जी

नेपाल में आए भूकम्प के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले राहत कार्यों का मार्गदर्शन करने नेपाल गए थे। उन्होंने पीडि़तों के दु:ख-दर्द को साझा किया, उनकी आवश्यकताओं की जानकारी ली और हिन्दू स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे राहत कार्यों में हाथ बंटाया। नेपाल से दिल्ली लौटने पर साप्ताहिक पाञ्चजन्य … Continue reading दुनिया चाहती है कि आपदा के बाद नेपाल फिर खड़ा हो – सह सरकार्यवाह जी


अंग्रेजों ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को मिथक बना दिया – जगदीश उपासने जी

शिमला। इंडिया टुडे के पूर्व संपादक जगदीश उपासने जी ने कहा कि अंग्रेजों ने गौरवपूर्ण भारतीय इतिहास को मिथकीय बना दिया। आज पूरा विश्व भारत के पवित्र शास्त्रों की खोज में लगा है, पाणिनी के सूत्र से आईबीएम सॉफ्टवेयर कंपनी ने अपनी कंपनी के प्रमुख सॉफ्टवेयर को विकसित किया है। उपासने जी ने भारतीय इतिहास … Continue reading अंग्रेजों ने भारत के गौरवपूर्ण इतिहास को मिथक बना दिया – जगदीश उपासने जी


नेपाल में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिये 1600 से अधिक स्वयंसेवक कार्य में जुटे

दिल्ली, 18 मई। राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश टोंक, सेवा इंटरनेशनल के संयोजक श्याम परांडे जी ने राष्ट्रीय सेवा भारती दिल्ली के कार्यालय में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि 25 अप्रैल 2015 को विनाशकारी भूकंप ने हमारे पड़ोसी देश में लगभग 15 हजार लोगों की जान ले ली, हजारों घरों को … Continue reading नेपाल में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिये 1600 से अधिक स्वयंसेवक कार्य में जुटे


गंगा की अविरलता ही गंगा की निर्मलता और रक्षा का एकमात्र मार्ग

हरिद्वार। प्राचीन श्रीराम मन्दिर, भोपतवाला में विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक के प्रथम सत्र में दो प्रस्ताव – गंगा की अविरलता ही गंगा की निर्मलता और रक्षा का एकमेव मार्ग है, श्वेत क्रान्ति और भारत के गांव व गरीब किसान के विकास का मूलाधार गोवंश की रक्षा में सन्निहित है, पारित … Continue reading गंगा की अविरलता ही गंगा की निर्मलता और रक्षा का एकमात्र मार्ग


समतायुक्त, शोषण मुक्त समाज के निर्माण का काम संघ कर रहा है – डॉ मोहनजी भागवत

नागपुर। सरसंघचालक पपू। डॉ मोहन जी भागवत ने कहा कि भारत में, हर क्षेत्र में आज बदलाव का अनुभव हो रहा है। दुनिया में भारत की मान-प्रतिष्ठा बढ रही है, भारत के प्रति दुनिया की आशा-आकांक्षा बढ़ रही है। सरसंघचालक जी रेशिमबाग परिसर में तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समारोप कार्यक्रम में संबोधित कर … Continue reading समतायुक्त, शोषण मुक्त समाज के निर्माण का काम संघ कर रहा है – डॉ मोहनजी भागवत


संघ के वरिष्ठ प्रचारक व पत्र-यात्री शरद लघाटे का निधन

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी तथा पत्र यात्री के नाम से ख्याति प्राप्त शरद लघाटे जी का 30 मई रात्रि को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। 75 वर्षीय लघाटे जी पिछले कुछ समय से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे। दिल्ली के ग्रीन … Continue reading संघ के वरिष्ठ प्रचारक व पत्र-यात्री शरद लघाटे का निधन


प्रशंसा पत्र
प्रो. प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. (जनवरी 2008)

मातृवंदना के 3 लाख पाठकों में से मैं भी एक नियमित पाठक हूं और मैं तो उस दिन प्रसन्न हूंगा जब हिमाचल के 60 लाख लोग इसे पढेंगे और घर- घर में संस्कार देने वाली पत्रिका उपलब्ध होगी. तभी भारत की संस्कृति सुरक्षित होगी और हिन्दू संस्कृति भी खिलेगी.


डॉ. मोहनराव भागवत, सरसंघचालक रा.स्व.संघ (अप्रैल 2003)

मातृवन्दना जैसी जागरण पत्रिकांएं देश भर में तीन लाख से अधिक गांव मेें जा रही हैं और समाज का विश्वास प्राप्त कर रही हैं जबकि दूसरी ओर अन्य प्रचार माध्यम अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं।


हरि राम धीमान नालागढ

मातृवन्दना की वेबसाईट शुरू होने पर बहुत बहुत बधाई। इससे पत्रिका का और विस्तार होगा। आज के युग में जिन लोगों के पास पुस्तकें पढने के लिये समय नहीं है, नेट पर मातृवन्दना उपलब्ध होने से उन्हे भी लाभ होगा.


श्री वी.एस.कोकजे पूर्व राज्यपाल,हि.प्र.

वास्तव में मातृवन्दना जैसी पत्रिका और इस तरह की पत्रकारिता की आवश्यकता है ताकि लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की जानकारी मिल सके।


Dr Nitin Vyas

मैं पिछले दो साल से मातृवंदना का एक सतत पाठक हूँ. यह हमारी विचारधारा का वास्तविक दर्पण है कह सकते हैं. नए भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है यह पत्रिका.


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